मुझे लगता है कि मेरी कविताएं ही मेरा सही परिचय हैं। पहले मेरा नाम था अब कविताएं ही... दो किताबें अफेयर और कोलाज मेधा बुक्स दिल्ली से.....तीसरी और चौथी किताब की तैयारी कर रहा हूं। ब्लाग की इस दुनिया में मुझे सच में अच्छा लगा। इस प्रयास को ब्लागर दूर करके एक नया रास्ता बना रहे हैं। मैं अपने सभी ब्लाग मित्रों को धन्यवाद देता हूं। लगा कि धरती को एक कुटुंब में तकनीक ही बदल रही है। तकनीक कितना कुछ नया कर रही है। अखबारों में रहते हुए कई बार मैटर सर्च के दौरान ब्लागरों के झरनों से सामना हुआ। कई ब्लागियों ने मेरी समस्या हल की। एक अच्छी कविता मिली। एक अच्छा संस्मरण, इंटरव्यु और कई अन्य सामग्री मुझे मिली। इस सामग्री को हालांकि बिना अनुमति-सूचना के उपयोग किया। पहली दस प्रतिक्रियांए मुझे अपनी कविता और ब्लाग पर मिली हैं। आने वाले वक्त में अपनी कविताओं को पहले ब्लाग में दिया करूंगा। मैं सब ब्लागरों का दोस्त होना चाहता हूं... इसी आशा में रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति
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