मंगलवार, 22 सितंबर 2009

जिंदगी का महल

दिल की आंच में निराशा को पकाया है
मेरे दोस्त देखो ऐसे
मैंने जिंदगी का महल बनाया है

प्यार के गुलाबी लैंप लगाए हैं
स्वागत के कालीन बिछाए हैं
सुबह की धूप का रंग चढ़ाया
अपने अहंकार को मेहराबों में बदला
मेरे दोस्त देखो ऐसे
मैंने जिंदगी का महल बनाया है

बगीचे में विचारों के पौधे लगे हैं
शुभकामनाओं के फूल खिल रहे हैं
मेरा महल हजार कमरे से बना है
हर कमरा कमल की पंखुरी है

मेरे जीवन महल में द्वार बड़ा छोटा है
जो आएंगे गीत गाते हुए
जिंदगी का महल उन्हें सौंपता रहूंगा

1 टिप्पणी:

  1. अच्छा गीत है लेकिन जिन्दगी के महल में नीचे एक नुक्ता लगाओ ज़िन्दगी ज़िन्दगी

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