शुक्रवार, 20 मार्च 2009

लड़की भूल जाती है



लड़की कागज रख कर भूल जाती है
जैसे शाम दिन को भूल जाती है

उसके हाथों का कागज धूप का टुकड़ा है
लड़की धरती पर धूप का टुकड़ा भूल जाती है

मेरी दुनियायी समझाइशों पे हंस कर
लड़की अपना गम भूल जाती है

सीखती नहीं दुुनिया जमाने के फसाने
आंखों में आंसू सजा कर सब भूल जाती है


10 टिप्‍पणियां:

  1. सीखती नहीं दुुनिया जमाने के फसाने
    आंखों में आंसू सजा कर सब भूल जाती है
    अच्छा प्रयास है ......
    लिखते रहें और पद्गते रहें, निखार आता जायेगा अपने आप ही

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर कविता है मित्र। चलिए अब इस बहाने भी पढते रहेंगे।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

    जवाब देंहटाएं
  4. kuch sahi kuch galt wese achchi hai


    rachna

    रोए है बहुत तब जा के करार मिला है
    इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है

    गुज़र रहीं है जिन्दगी इम्तिहान के दौर से
    एक खत्म हुआ तो दूसरा तैयार मिला है

    मेरे दामन को खुशियों का नहीं मलाल
    गम का खज़ाना जो इसको बेशुमार मिला है

    वो कमनसीब है जिन्हे महबूब मिल गया
    मैं खुशनसीब हू¡ मुझे इंतज़ार मिला है

    गम नहीं मुझे दुश्मन हुआ ये ज़माना
    जब दोस्त हाथों में लिये तलवार मिला है

    सब कुछ खुदा ने तुम को भला कैसे दे दिया
    मुझे तो उसके दर से सिर्फ इन्कार मिला है

    जवाब देंहटाएं
  5. ब्‍लाग की दुनिया में एक ख्‍यातिप्राप्‍त युवा कवि का स्‍वागत है। उम्‍मीद है यहां भी आपकी कविताओं की ईमानदार उपिस्थिति दर्ज होती रहेगी। एक अनुरोध है, रचनाकर्म का कुछ अनुभव भी जरुर शेयर करें अपने चाहनेवालों से।

    जवाब देंहटाएं
  6. चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है .नियमित लिखते रहें इससे संवाद-संपर्क बना रहता है , ढेर सारी शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  7. vaah! bhai chupchap blog ki duniya me aagaye.
    chalo ab aa hi gaye ho to swagat hai.
    lage raho bhai.

    जवाब देंहटाएं