शुक्रवार, 20 मार्च 2009
लड़की भूल जाती है
लड़की कागज रख कर भूल जाती है
जैसे शाम दिन को भूल जाती है
उसके हाथों का कागज धूप का टुकड़ा है
लड़की धरती पर धूप का टुकड़ा भूल जाती है
मेरी दुनियायी समझाइशों पे हंस कर
लड़की अपना गम भूल जाती है
सीखती नहीं दुुनिया जमाने के फसाने
आंखों में आंसू सजा कर सब भूल जाती है
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सीखती नहीं दुुनिया जमाने के फसाने
जवाब देंहटाएंआंखों में आंसू सजा कर सब भूल जाती है
अच्छा प्रयास है ......
लिखते रहें और पद्गते रहें, निखार आता जायेगा अपने आप ही
सुंदर कविता है मित्र। चलिए अब इस बहाने भी पढते रहेंगे।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंkuch sahi kuch galt wese achchi hai
जवाब देंहटाएंrachna
रोए है बहुत तब जा के करार मिला है
इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है
गुज़र रहीं है जिन्दगी इम्तिहान के दौर से
एक खत्म हुआ तो दूसरा तैयार मिला है
मेरे दामन को खुशियों का नहीं मलाल
गम का खज़ाना जो इसको बेशुमार मिला है
वो कमनसीब है जिन्हे महबूब मिल गया
मैं खुशनसीब हू¡ मुझे इंतज़ार मिला है
गम नहीं मुझे दुश्मन हुआ ये ज़माना
जब दोस्त हाथों में लिये तलवार मिला है
सब कुछ खुदा ने तुम को भला कैसे दे दिया
मुझे तो उसके दर से सिर्फ इन्कार मिला है
ब्लाग की दुनिया में एक ख्यातिप्राप्त युवा कवि का स्वागत है। उम्मीद है यहां भी आपकी कविताओं की ईमानदार उपिस्थिति दर्ज होती रहेगी। एक अनुरोध है, रचनाकर्म का कुछ अनुभव भी जरुर शेयर करें अपने चाहनेवालों से।
जवाब देंहटाएंjanab aap hamko na bhul jana, narayan narayan
जवाब देंहटाएंचिट्ठाजगत में आपका स्वागत है .नियमित लिखते रहें इससे संवाद-संपर्क बना रहता है , ढेर सारी शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंvaah! bhai chupchap blog ki duniya me aagaye.
जवाब देंहटाएंchalo ab aa hi gaye ho to swagat hai.
lage raho bhai.
thanks ji
जवाब देंहटाएंthanks, all my friends
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